Liver diseases || यकृत लिवर रोग कारण व निवारण
यकृत लिवर रोग कारण व निवारण
लीवर को जिगर या यकृत भी कहा जाता है। लीवर शरीर का बहुत महत्वपूर्ण अंक है, इसकी खराबी का असर संपूर्ण शरीर पर पड़ता है ।आधुनिक जीवनशैली ने शराब को रोजमर्रा के इस्तेमाल की वस्तु बना दिया है, लोगों की रुचि घर में खाने की जगह बाजार में जंक – फूड की ओर बढ़ती जा रही है ।
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Liver diseases |
रोग के लक्षण
लीवर के आहार
लीवर बढ़ जाने पर
लीवर बढ़ने के कारण
लीवर के बढ़ने पर हानि
लीवर के बढ़ने की अवस्था में पेट सूज जाता है। खाना हजम नहीं होता है। कमजोरी आ जाती है। रंग पीला पड़ जाता है। धीरे-धीरे लीवर के सेल खराब हो जाते हैं , और लीवर बढ़ने के बाद सिकुड़ना शुरू हो जाता है, और आकार भी घट जाता है, पेट में पानी भर जाता है, लीवर में मवाद भर जाती है तथा धीरे-धीरे पेट में टीवी या कैंसर की शिकायत हो जाती है।
लीवर की सूजन
लीवर की सूजन में लीवर को हाथ लगाने से ही दर्द शुरू हो जाता है । इससे पीलिया हो जाता है , भूख कम लगती है, बुखार भी हो जाता है, तिल्ली भी बढ़ जाती है , शरीर पर खारिश होती है, रोगी अस्वस्थ वह कमजोर हो जाता है।
फैटी लीवर
इस रोग में चिकनाई बढ़ जाती है जिससे लीवर की ऊपरी वाली सतह नर्म व पतली हो जाती है यह बीमारी आमतौर पर मोटे व्यक्ति या शुगर के मरीजों में अधिक होती हैं।
प्रोटीन और बाल यकृत वृद्धि
6 माह से 2 वर्ष तक की आयु वाले बच्चे का यकृत कभी आकार में बड़ा तथा कठोर हो जाता है उसे ही बाल यकृत वृद्धि कहा जाता है।
कारण
दूध पीने वाले बच्चों को मां का दूध कम और भैंस का दूध अधिक पीने को मिलता है , तो ऐसे में बाल यकृत वृद्धि की संभावना बढ़ जाती है । क्योंकि यह दूध पानी मिलाकर हल्का करके शक्कर मिलाकर पिलाया जाता है , इससे बच्चे के आहार में प्रोटीन की मात्रा कम हो जाती है और कार्बोहाइड्रेट इस फैट की मात्रा बढ़ जाती है , जिससे उसके यकृत के सैलों में फैट अधिक मात्रा में जमा हो जाता है।
रोग से बचाव के उपाय
अगर गर्भ अवस्था में माता को यकृत रक्षक अमीनो एसिड तथा विटामिन ‘बी’ दिया जाए और शिशु को माता के दूध पर ही पाला जाए तो यकृत वृद्धि रोग नहीं होता है।
अगर मां को दूध कम उतरता हो तो गाया , बकरी का दूध बिना शक्कर के बच्चों को खिलाना चाहिए।