सास्वत प्रज्ञा से निश्चित शाश्वत सत्य , जीवन में निर्णय की भूमिका || The eternal truth determined by the eternal wisdom, the role of judgment in life
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Life |
1- तुलनात्मक रूप से सब बातों का तथ्यों का मूल्यांकन करने पर सब प्रकार की शारीरिक मानसिक अध्यात्मिक पारिवारिक सामाजिक आर्थिक राजनैतिक एवं प्राकृतिक आदि लाभ व हानि आदि का विचार करके सही निर्णय करें।
2- अपने कुल वंश के साथ देशों के कुल वंश अपने पूर्वजों के तप त्याग आदर्शों देश धर्म संस्कृति व पर्यावरण आदि की भी लाभ हानि का विचार करें।
3- तत्कालिक लाभ हानि दो जय पराजय मान अपमान सफलता विफलता आदि के साथ दीर्घकालीन लाभ हानि का भी गंभीरता पूर्वक विचार करें।
4- कुछ लाभ हानि ऐसी होती है जिसकी क्षतिपूर्ति हो जाती है जैसे व्यवसायिक राजनीतिक लाभ हानि जय पराजय तथा शारीरिक मान दुख आदि परंतु दीर्घकालीन रूप से हमें अति गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिए कि जो नीतिगत निर्णय लेते हैं वह कृषि उद्योग वाणिज्य शिक्षा स्वास्थ्य धर्म संस्कृति प्रकृति मनुष्य एवं मनुष्य जड़ चेतन जीव जगत पर तथा मनुष्य के आधार विचार वाणी व्यवहार के संभव वह अस्तित्व पर तत्कालीन वह दीर्घकालीन दृष्टि से क्या प्रभाव पड़ेगा 150 ,100, 500 वर्षों तक हमारी आगामी पीढ़ियों पर राष्ट्र पर इसका कितना गहरा प्रभाव पड़ेगा इनकी दशम दिशा क्या रहेगी यह अवश्य सोचें।
5- अज्ञान काम क्रोध लोभ मोह अहंकार अट दुख ग्रह स्वास्थ्य प्रभाव दबाव सत्कार तिरस्कार जाति समुदाय या अन्यथा किसी भी आग्रह से मुक्त होकर निर्णय करें निर्णय को प्रणाम तक पहुंचाएं संख्या के आधार पर नहीं सत्य के आधार पर सत्य निर्णयों पर स्थित व समग्रता वह निर्भयता रहें।