Rules For Pranayama || प्राणायाम हेतु कुछ नियम
प्राणायाम हेतु कुछ नियम
Rules for pranayama
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Pranayama |
- प्राणायाम शुद्ध, साफ स्थान पर करना चाहिए। यदि संभव हो तो जल के समीप बैठकर अभ्यास करें।
- शहरों में जहां प्रदूषण का अधिक प्रभाव होता है। उस स्थान को प्राणायाम से पहले घृत तथा गुग्गलू द्वारा सुगंधित कर ले या घृत का दीपक जलाएं।
- General Rules For Doing Pranayama || प्राणायाम करने के सामान्य नियम
- International yoga day के लिए सर्वश्रेष्ठ प्राणायाम || दैनिक योगाभ्यास के लिए प्राणायाम
- Mystery of pranayama ||प्राणायाम का रहस्य
- प्राणायाम के लिए सुखासन, सिद्धासन या पद्मासन में मेरुदंड को सीधा रखकर बैठे। बैठने के लिए जिस स्थान का उपयोग करते हैं वह विद्युत का कुचालक होना चाहिए। जैसे कंबल आदि। जो लोग जमीन पर नहीं बैठ सकते वे कुर्सी पर बैठकर भी प्राणायाम कर सकते हैं।
- श्वास सदा नासिका से ही लेना चाहिए। इसमें श्वास फिल्टर होकर अंदर जाता है। दिन में भी श्वास नासिका से ही लेना चाहिए।
- प्राणायाम करते समय मन शांत एवं प्रसन्न होना चाहिए। वैसे प्राणायाम से भी मन शांत, प्रसन्न एवं एकाग्र हो जाता है।
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Pranayama |
- प्राणायाम के दीर्घ अभ्यास के लिए संयम व सदाचार का पालन करें। भोजन सात्विक एवं चिकनाई युक्त हो । दूध, बादाम एवं फलों का उचित मात्रा में प्रयोग हितकर हैं
- प्राणायाम में श्वास को हट पूर्वक नहीं रोकना चाहिए। प्राणायाम करने के लिए श्वास अंदर लेना, पूरा श्वास को अंदर रोककर रखना “कुंभक”, श्वास को बाहर निकालना “रेचक” और श्वास को बाहर ही रोक कर रखना “बाह्य कुंभक” कहलाता है।
- प्राणायाम का मतलब पूरक, कुंभक एवं रेचक ही नहीं वरन श्वास और प्राणों की गति को नियंत्रित और संतुलित करते हुए मन को भी स्थिर एवं एकाग्र करने का अभ्यास करना है।
- प्राणायाम से पूर्व कम से कम 3 बार ‘ओ३म’ का लंबा उच्चारण करना, प्राणायाम का अभ्यास करने के लिए गायत्री, महामृत्युंजय या अन्य वैदिक मंत्रों का विधि पूर्वक उच्चारण या जप करना आध्यात्मिक दृष्टि से लाभप्रद है।
- प्राणायाम करते समय मुख, आंख, नाक आदि अंगों पर किसी प्रकार का तनाव न लाकर सहज अवस्था में करना चाहिए।
- प्राणायाम के अभ्यास काल में कमर, गर्दन को सदा सीधा रखकर बैठे, तभी अभ्यास यथाविधि तथा फलप्रद होगा।
- प्राणायाम शौचालय, नित्य कर्म से निवृत्त होकर करना चाहिए, यदि किसी को कब्ज रहता हो तो रात्रि में भोजन के उपरांत आमला या एलोवेरा का जूस पीना चाहिए इससे कब्ज नहीं होगा।
- प्राणायाम स्नान करके करते हैं तो अधिक आनंद, प्रसन्नता, पवित्रता का अनुभव होता है। यदि प्राणायाम के बाद स्नान करना हो तो 10-15 मिनट बाद स्नान कर सकते हैं , साथ ही प्राणायाम करने के 10-15 मिनट बाद प्रातः जूस, अंकुरित अन्य अन्य खाद्य पदार्थ ले सकते हैं।
- प्राणायाम के तुरंत बाद चाय कॉफी या अन्य मादक, उत्तेजक या नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- प्राणायाम के बाद दूध, दही, छाछ, लस्सी, फलों का जूस, हरी सब्जियों का जूस, आदि का सेवन आरोग्य दायक है।
- अंकुरित अन्न दलिया या अन्य स्थानीय आहार जो पचने में भारी ना हो, प्राणायाम के बाद लेना चाहिए । प्रथम बात तो पराठे, हलवा या अन्य नाश्ते से बचे तो ही श्रेष्ठ है, और यदि पराठा आदि खाने का बहुत दिल करे तो स्वस्थ व्यक्ति सप्ताह में एक या अधिक दो बार ही भारी नाश्ता ले। रोगी व्यक्ति को भारी भोजन से परहेज करना चाहिए।
- प्रतिदिन एक जैसा नाश्ता उचित नहीं है, शरीर के संपूर्ण पोषण के लिए सप्ताह भर के क्रम में नाश्ते के लिए किसी दिन अंकुरित अन्न तो कभी दलिया, कभी दूध, कभी केवल फल , कभी केवल जूस या दही, छाछ आदि लेना चाहिए। इससे शरीर को संपूर्ण पोषण भी मिलेगा और आपको नाश्ते में बोरियत नहीं लगेगी । परिवर्तन जीवन का सिद्धांत है और हमारी चाहत भी।
- योगाभ्यासी का भोजन सात्विक होना चाहिए। हरी सब्जियों का प्रयोग अधिक मात्रा में करें, अन्न कम ले, दाले छिलके सहित प्रयोग करें।
- सुबह उठकर पानी पीना , ठंडे पानी से आंखों को साफ करना , पेट व नेत्रों के लिए अत्यंत करें।
- नाश्ते में दोपहर के भोजन के बीच एक बार तथा दोपहर व सायंकाल के भोजन के बीच में थोड़ा-थोड़ा करके जल अवश्य ही पीना चाहिए। इसमें हम पाचन तंत्र, मूत्रसंस्थान, मोटापा व कोलेस्ट्रोल आदि बहुत से रोगों से बच जाते हैं।
- गर्भवती महिलाओं को कपालभाती बाह्य प्राणायाम एवं अग्निसार क्रिया को छोड़कर शेष प्राणायाम व बटरफ्लाई आदि सूक्ष्म व्यायाम धीरे-धीरे करना चाहिए। महामारी के समय माता को बढ़ाना प्राणायाम वह कठिन आसन नहीं करना चाहिए। सूक्ष्म व्यायाम , प्राणायाम को छोड़कर शेष सभी प्राणायाम महावारी के समय भी नियमित रूप से आवश्य करें। गर्भवती महिलाओं को सर्वांगासन, हलासन आदि कठिन आसनों का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
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Pranayama |
- उच्च रक्तचाप , हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति को सभी प्राणायाम का अभ्यास धीरे-धीरे अवश्य करना चाहिए। इसके लिए प्राणायाम ही एकमात्र उपचार है। बस सावधानी इतनी ही है कि भस्त्रिका , कपालभाति , अनुलोम विलोम -प्राणायाम धीरे -धीरे करें। अधिक बल का प्रयोग ना करें। कुछ लो अज्ञातवस या भ्रम फैलाते हैं कि उच्च रक्तचाप, हृदयरोग से पीड़ित व्यक्ति प्राणायाम ना करें यह अज्ञान है।
- किसी भी ऑपरेशन के बाद कपालभाति प्राणायाम 4 से 6 माह बाद करना चाहिए। ह्रदय रोग में बाईपास या एंजियोप्लास्टी के 1 सप्ताह बाद ही अनुलोम-विलोम, भ्रामरी व उद्गीथ प्राणायाम , सूक्ष्म व्यायाम व शवासन का अभ्यास अवश्य करना चाहिए। इससे उनको शीघ्र लाभ मिलेगा।
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