Yoga syllabus hindi || मानव – शरीर संस्थान पर योग का प्रभाव || Effect of Yoga on the Human Body Institute.
Yoga syllabus hindi
Effect of Yoga on the Human Body Institute.
मानव- शरीर विभिन्न संस्थानों से मिलकर बना है । ‘ संस्थान ‘ हमारे अंगों की एक ऐसी व्यवस्था होती है जिसमें समस्त अंग आपस में एक दूसरे पर निर्भर करते हैं तथा व्यवस्थित प्रक्रिया के अन्तर्गत कार्य करते हैं । ये विभिन्न संस्थान आपस में एक – दूसरे से जुड़े रहते हैं । मानव – शरीर में निम्नलिखित संस्थान होते हैं –
- अस्थि संस्थान ( Skeleton System )
- मांसपेशी संस्थान ( Muscular System )
- रक्त – प्रवाह संस्थान ( Circulatory System )
- श्वसन संस्थान ( Respiratory System )
- पाचन संस्थान ( Digestive System )
- स्नायू संस्थान ( Nervous System )
- ग्रंथि संस्थान ( Endocrine System )
- उत्सर्जन संस्थान ( Excretory System )
- प्रजनन संस्थान ( Reproductory System )
इन विभिन्न संस्थानों की सक्रियता में वृद्धि एवं इनके स्वास्थ्य को बनाए रखने में योग का महत्त्वपूर्ण योगदान है । विविध प्रकार के योगाभ्यास से ‘ मानव – शरीर संस्थान ‘ पर निम्न प्रकार के प्रभाव दृष्टिगोचर होते हैं।
अस्थि – संस्थान पर योग का प्रभाव : –
अस्थि – संस्थान सम्पूर्ण शरीर को आधार प्रदान करने का कार्य करता है । हमारे शरीर में 206 अस्थियाँ होती हैं । ये अस्थियाँ खनिज – लवण तथा कार्बोनिक पदार्थों से बनी होती है और आकृति तथा आकार में भिन्न – भिन्न होती हैं । अस्थि – संस्थान कोमल अंगों ( मस्तिष्क , हृदय , फेफड़े आदि ) को सुरक्षा प्रदान करने , उत्तोलन एवं आधार आदि देने का महत्त्वपूर्ण कार्य करता है । अस्थि संस्थान पर नियमित योगाभ्यास से निम्न प्रभाव पड़ते हैं-
- जोड़ों में लचीलापन ,
- दोषों जैसे – कुबड़ापन , चपटा पैर , मेरुदण्ड का टेढ़ा होना आदि के निराकरण में सहायता ,
- अस्थियों से सम्बन्धित रोगों – आर्थराइटिस , ऑस्टियोपोरोसिस , सन्धिवात , गठिया आदि रोग दूर होते हैं ,
- अस्थियों की लम्बाई में वृद्धि ,
- शारीरिक कार्यक्षमता में अभिवृद्धि ।
- अस्थियों और लिगामेण्ट्स में अधिक दबाव एवं सहने की क्षमता उत्पन्न करना ।
रक्त प्रवाह संस्थान पर योग का प्रभाव : –
कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है , जिसकी आपूर्ति भोजन से होती है । शरीर की मांसपेशियों को पोषाहार तथा प्राणवायु की अत्यन्त आवश्यकता होती है । रक्त प्रवाह संस्थान ही रक्त के द्वारा पोषाहार तथा प्राणवायु को मांसपेशियों तक पहुँचाता है । इस संस्थान पर नियमित योग – अभ्यास करने से जो प्रभाव पड़ते हैं , वे निम्नांकित हैं –
- हृदय की धड़कन में नियमितता ।
- स्ट्रोक के आयतन में वृद्धि ।
- हानिकारक कोलेस्ट्रोल के स्तर में कमी तथा अच्छे कोलेस्ट्रोल H.D.L में वृद्धि
- केशिकाओं की संख्या तथा कार्य – कुशलता में वृद्धि ।
- लाल रक्त कणिकाओं की संख्या में वृद्धि होना ।
- श्वेत रक्त कणिकाओं में वृद्धि ।
- थकान में कमी ।
- रक्त में वसा के स्तर का नियमन अर्थात् कोलेस्ट्रोल , ट्राइग्लिसराइड्स , एच.डी.एल. आदि की अनियमिताएं दूर हो जाती है ।
- पुनः शक्ति – प्राप्ति समय ( Recovery time ) शीघ्रता से होना ।
- रोग – प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि ।
श्वसन- संस्थान पर योग का प्रभाव : –
श्वसन तन्त्र का कार्य ऑक्सीजन को ग्रहण करना तथा कार्बनडाई ऑक्साइड को बाहर निकालना है । ऑक्सीजन शरीर को शक्ति तथा अनुकूल तापमान देने में आवश्यक है । योग के नियमित अभ्यास श्वसन तन्त्र पर निम्न प्रभाव डालते हैं-
- श्वसन क्रिया सुचारू करना ।
- डायाफ्राम और मांसपेशियों में मजबूती ।
- असक्रिय वायु – कोशिकाएँ सक्रिय हो जाती हैं ।
- अवशिष्ट वायु के आयतन में वृद्धि ।
- फेफड़ों और छाती के आकार में वृद्धि ।
- हृदय एवं श्वास सम्बन्धी रोगों में अत्यन्त लाभप्रद ।
- श्वसन संबंधी रोगों का निराकरण होता है जैसे – सर्दी – खाँसी , जुकाम , एलर्जी , श्वास रोग , साइनस एवं कफ रोग दूर होते हैं ।
- थॉयराइड एवं टॉन्सिल आदि रोग दूर होते हैं ।
- जीवनी शक्ति में वृद्धि ।
मूत्र – संस्थान पर योग का प्रभाव : –
मानव शरीर से अपशिष्ट हानिकारक द्रव पदार्थों एवं रसायनों का उत्सर्जन ‘ मूत्र संस्थान ‘ के माध्यम से होता है । यह यूरिक एसिड , टॉक्सिन आदि के उत्सर्जन से रक्त के शोधन का कार्य भी करता है । मूत्र – संस्थान पर नियमित योगाभ्यास करने से निम्न प्रभाव पड़ते हैं ।
- कार्यक्षमता में बढ़ोतरी ।
- गुर्दो से संबंधित बीमारियों से बचाव ।
- शरीर का तापमान सामान्य बनाए रखना ।
- अपशिष्ट पदार्थों ( मलमूत्र ) का सम्यक् निष्कासन ।
पाचन संस्थान पर योग का असर : –
पाचन संस्थान का कार्य हमारे आहार द्वारा ग्रहण किए गए भोजन को तरल पदार्थ में परिवर्तित करके रक्त में अवशोषण के माध्यम से शरीर को ऊर्जा प्रदान करना है ।
- पाचनक्रिया को सुचारू करना ।
- भूख में बढ़ोत्तरी ।
- कब्ज का निवारण ।
- भोजन के पाचन एवं अवशोषण में कार्यकुशलता ।
- शरीर के आवश्यक तत्त्वों के भंडारण में वृद्धि ।
- ग्रंथियों द्वारा कुशलतापूर्वक कार्य – निष्पादन ।
- पाचन तंत्र संबंधी रोगों को दूर करने में सहायक – गैस , कब्ज , अम्लपित्त , मधुमेह आदि रोग दूर होते हैं ।
- आमाशय , अग्न्याशय , यकृत , प्लीहा , आँत का आरोग्य बढ़ता हैं।
स्नायु संस्थान पर योग का प्रभाव :-
स्नायु संस्थान शरीर के विभिन्न अंगों को नियन्त्रित तथा उनकी सही देखभाल एवं उनके सही संचालन का कार्य करता है । मानव शरीर में सूक्ष्म नाड़ियों या स्नायुओं का जाल फैला रहता है । उन्हीं नाड़ियों के माध्यम से अनुभूति बोध एवं ज्ञान भी होता है । यह तन्त्र आन्तरिक एवं वातावरण के परिवर्तन के साथ सामंजस्य करने का भी कार्य करता है ।
- स्नायु तन्तुओं को सबल एवं सक्रिय रखना ।
- मानसिक क्षमता में वृद्धि ।
- भावनात्मक एवं क्रियात्मक पक्ष में सन्तुलन ।
- नकारात्मक चिन्तन में परिवर्तन एवं सकारात्मक चिन्तन में वृद्धिा।
- कम्पवात , स्नायु दुर्बलता आदि रोगों को दूर करता है ।
- योग से डर , भय , निराशा , तनाव , चिन्ता के भावों में कमी एवं उत्साह , रुचि , निर्भयता एवं प्रसन्नता के भावों में वृद्धि होती है ।
- नकारात्मक भावों जैसे – क्रोध , हताशा , निराशा एवं उदासीनता में कमी ।
ग्रन्थि संस्थान पर योग का प्रभाव : –
अन्तःस्रावी ग्रन्थियों से विभिन्न हर्मोन्सों का स्राव होता है । ये नलिकाविहीन ग्रन्थियाँ भी कहलाती हैं । हर्मोन्स तंत्रिकाओं के साथ मिलकर शरीर की अधिकांश क्रियाओं का नियमन करते हैं । मानव शरीर में पिट्यूटरी , थायराइड , पैराथायराइड , थाइमस , एड्रीनल आदि प्रमुख ग्रन्थियाँ हैं । ग्रन्थि संस्थान पर योग से पड़ने वाले प्रभाव हैं-
- ग्रन्थियों से हार्मोन्स का सम्यक् स्राव एवं रक्त में उचित स्तर बनाने में सहायक ।
- चयापचय क्रिया को स्वस्थ बनाना ।
- आयु के अनुरूप शारीरिक वृद्धि एवं विकास ।
मांसपेशी संस्थान पर योग का प्रभाव :-
मानव शरीर के विभिन्न अंग एवं अवयव कोशिकाओं एवं ऊतकों से निर्मित हैं , ये कोशिकाएँ तथा ऊतक आदि मिलकर मांसपेशियों का निर्माण करते हैं । मांसपेशियाँ हमारे आधारभूत ढाँचे ( अस्थियों ) को निश्चित आकार सुरक्षा एवं गतिशीलता प्रदान करते हैं । वास्तव में मांसपेशियों के अभाव में हम निर्जीव वस्तु की भाँति केवल एक स्थान पर बैठे रह जाते । योग से मांसपेशियों पर निम्न प्रभाव पड़ते हैं –
- मांसपेशियों को मजबूत बनाना ।
- मांसपेशियों में लचीलापन लाना ।
- शारीरिक सौष्ठव को बनाए रखना ।
- मोटापा , कमजोरी आदि में लाभप्रद ।
प्रजनन संस्थान पर योग का प्रभाव :-
प्रकृति ने सभी प्राणियों में वंशवृद्धि करने की क्षमता प्रदान की है , जिससे वह अपने समान ही जीव को उत्पन्न कर सकता है । मानव एवं अन्य सभी प्राणियों का यह गुण ‘ प्रजनन ‘ कहलाता है । प्रजनन क्षमता को संभव बनाने वाले मानव शरीर के सभी अंग – उपांग ‘ प्रजनन तन्त्र ‘ कहलाता है । योग के नियमित अभ्यास से प्रजनन संस्थान पर निम्न महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ते हैं –
- प्रजनन अंगों की कार्यक्षमता में वृद्धि ।
- नपुंसकता एवं बाँझपन को दूर करने में सहायक ।
- सम्बन्धित यौन रोगों के उपचार में सहायक ।
- मूत्ररोग , धातुरोग , शुक्रक्षय आदि दूर होते हैं ।
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