Divine Energy Hindi – दिव्य ऊर्जा का भंडार है हमारा शरीर
Divine Energy Hindi – दिव्य ऊर्जाका भंडार है हमारा शरीर
अवतारी सत्ताओं , देवताओं , ऋषि – मुनियों , संत महात्माओं और महापुरुषों के चेहरों पर हमें जो एक अलग – सी चमक दिखाई पड़ती है ; जानते हैं क्यों ! वजह है उनके शरीर से उत्सर्जित होने वाली प्राण ऊर्जा का दिव्य विकिरण । तत्त्वदर्शियों के मुताबिक , 16 कलाओं के पूर्णावतार भगवान श्रीकृष्ण का आभामण्डल पूर्ण जागृत था । नीली आभायुक्त उनकी प्राण ऊर्जा में गजब का आकर्षण था । भगवान बुद्ध भी ऐसे ही ध्यान योगी माने जाते हैं , जिनका सहस्रार चक्र पूर्ण रूप से जाग्रत था । योगी श्री अरविन्द का आभामण्डल भी बहुत प्रखर था । Divine Energy Hindi
अध्यात्म पथ के जिज्ञासुओं को हिमालय इसी कारण आज भी सर्वाधिक आकर्षित करता है , क्योंकि वहां तपस्वी ऋषियों का शक्तिशाली आभामण्डल आज भी सूक्ष्म रूप में विद्यमान है । प्राणिक चिकित्सा के विशेषज्ञों के मुताबिक , यूं तो यह दिव्य ऊर्जा शरीर के प्रत्येक कोश से विकरित होती है , परंतु इसकी आभा सबसे अधिक चेहरे पर परिलक्षित होती है । षट्चक्रों के रूप में मनुष्य के शरीर में विभिन्न ऊर्जा केंद्र होते हैं । चरक एवं सुश्रुत संहिता में इन ऊर्जा बिंदुओं के बारे में विस्तृत वर्णन मिलता है ।
अब , आधुनिक विज्ञान भी आभामण्डल की इस संघनित ऊर्जा के महत्त्व को स्वीकारने लगा है । इस तथ्य की पुष्टि करने के लिए बीती संदी में रूसी वैज्ञानिक एडामेको ने एक सफल प्रयोग भी किया था । उन्होंने शरीर के क्रियाशील ऊर्जा केंद्रों की संवेदनशीलता जांचने के लिए एक विशेष मशीन बनाई थी । जब व्यक्ति को इसके सामने खड़ा किया गया , तो उसके शरीर में सक्रिय केंद्रों के स्थान पर लगे बल्ब जलने लगे जो केंद्र निष्क्रिय थे , वहां के बल्ब नहीं जले । इस प्रयोग से एडामेको ने साबित किया कि सक्रिय केंद्रों से ऊर्जा का सतत प्रवाह बना रहता है और यह उसके आभामण्डल की सृष्टि करता है । Divine Energy Hindi
आभामंडल का सत्य अब वैज्ञानिक रूप से भी प्रमाणित हो चुका है कि जो व्यक्ति जितना प्राणवान होगा , उसका आभामण्डल भी उतना ही सशक्त होगा और वह अपने आसपास के जड़ – चेतन सभी वस्तुओं को प्रभावित करेगा ।
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